क्या बताउं, जमशेदपुर में पत्रकारिता का स्तर उठने की बजाय गिरता ही जा रहा है। नैतिकता खत्म हो गयी है। इसका कारण अखबारों के प्रबंधंनो के रवैये को भी कम जिम्मेदार नहीं कहा जा सकता है। यहाँ के बड़े बड़े अख़बार ह्त्रकारों को इतना कम वेतन देतें हैं की, पत्रकार भी इधर उधर झाँकने के लिए विवश ....
लेकिन मैं एक बात कहना चाहूँगा की पत्रकार भाइयों, यह सच है की अख़बारों का वेतन कम है, लेकिन इसके लिए आप अपनी नैतिकता को गिरवी न रखें। यही मेरी नेक सलाह हैं। मित्रों यदि आपका पेट नहीं भरता है तो आप कोई अन्य कार्य करें। इससे पत्रकारिता की बदनामी भी नहीं होगी और आप अपनी नैतिल्कता को बचाए रखने में समर्थ हो सकेंगे।
Monday, October 26, 2009
Monday, January 19, 2009
विनोद साहेब के बारे में भड़ास के प्रयास सराहनीय
आदरणीय एस एन विनोद साहब,
सादर प्रणाम,
बहुत अच्छा लगा। भड़ास में आपके बारे में पढ़कर। पत्रकारीय जीवन में संघर्ष कर आगे बढ़ते रहना और नित नए मंजिल की तलाश करते रहना सबके वश की बात नहीं है। मेरा सम्बन्ध जमशेदपुर से है और मैं आपके बारे में केवल सुनता रहा हूँ । लेकिन आज मुझे पढ़कर सबकुछ जानने मौका मिला। आपको मुकम्मल जानकारी होगी की आपके बोया बीज (prabhaat khabar) अब बरगद का रूप ले चुका है। रांची की कौन कहे जमशेदपुर में भी लोगों की पहली पसंद है। हालांकि दैनिक जागरण और हिंदुस्तान ने सेंधमारी की कोशिश जरूर की है, लेकिन प्रभात ख़बर अब भी लोगों की पहली पसंद के रूप में कायम है। आपके ptrakarita वृतांत से मुझे भी नयी ताकत मिली है। जीवन में यदि अपने शुभचिंतकों का साथ रहे तो लक्ष्य पाना कठिन नहीं है। मैं भड़ास का शुक्रगुजार हूँ जिसने आपके जीवन के कई अनछुए पहलुओं को उजागर किया।
आदित्य झा
सादर प्रणाम,
बहुत अच्छा लगा। भड़ास में आपके बारे में पढ़कर। पत्रकारीय जीवन में संघर्ष कर आगे बढ़ते रहना और नित नए मंजिल की तलाश करते रहना सबके वश की बात नहीं है। मेरा सम्बन्ध जमशेदपुर से है और मैं आपके बारे में केवल सुनता रहा हूँ । लेकिन आज मुझे पढ़कर सबकुछ जानने मौका मिला। आपको मुकम्मल जानकारी होगी की आपके बोया बीज (prabhaat khabar) अब बरगद का रूप ले चुका है। रांची की कौन कहे जमशेदपुर में भी लोगों की पहली पसंद है। हालांकि दैनिक जागरण और हिंदुस्तान ने सेंधमारी की कोशिश जरूर की है, लेकिन प्रभात ख़बर अब भी लोगों की पहली पसंद के रूप में कायम है। आपके ptrakarita वृतांत से मुझे भी नयी ताकत मिली है। जीवन में यदि अपने शुभचिंतकों का साथ रहे तो लक्ष्य पाना कठिन नहीं है। मैं भड़ास का शुक्रगुजार हूँ जिसने आपके जीवन के कई अनछुए पहलुओं को उजागर किया।
आदित्य झा
Subscribe to:
Posts (Atom)