एक बात मुझे समझ में नहीं आता है कि कुछ पत्रकार सम्पादक का तलवा चाटने में क्यों लगे रहतें हैं। सम्पादक को सम्मान देना बुरी बात नहीं है , लेकिन क्या बताऊ ...
मैं सम्पादक का आदर करता हूँ लेकिन काम के आलावा मैं कोई बात नहीं करना चाहता हूँ। वास्तव में मैं यही करता भी हूँ। परन्तु क्या कहूं। एक बंद अपने साथ काम करता है .उसको देखता हूँ दिन हो या रात , हमेशा संपादक को ऑफिस की कहानी बताता रह्या है। मेरे कई सहकर्मियों ने उसकी इस आदत के कारण अन्य जगहों पर जानाशुरू कर दिया है। सच तो ये है की मैं भी किसी अन्य स्थान पर नई पारी खेलने के मूड में हूँ। मैं अपने ऐसे दोस्तों को कहना चौंगा की भइया चाटुकार पत्रकार खासकर जो तलवा चाटकर अपने गुजारा करतें हैं, सावधान हो जाओ.
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